शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया

01-03-2021

शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

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अरकान- मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
 
शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया
दुश्मन भी होलि खेलने  को यार आ गया
 
परदेसी  सारे  आ  गए  परदेस  से  यहाँ
अपना भी मुझको रंगने मेरे द्वार आ गया
 
रंग्गे गुलाल  उड़  रहा  था  चारों  ओर  से
नफ़रत मिटा के देखा तो बस प्यार आ गया
 
ठंडाइ भांग की मिलि हमनें जो पी लिया
बैठा था घर में चैन  से  बाज़ार आ गया
 
मजनू पड़े हैं  पीछे  मुझे  रंगने  के  लिए
धोखा हुआ पहन के जो सलवार आ गया
 
सब लोग मिल रहे गले  इक दूजे से यहाँ
लगता है मुरली वाले के दरबार आ गया
 
खेलो निज़ाम रंग  भुला कर के सारे ग़म
सबको गले लगाने  ये  दिलदार आ गया
 
– निज़ाम-फतेहपुरी

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