सुनो स्त्रियो
नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’
सुनो स्त्रियो
सोचो, समझो और पढ़ो
उन्हें
जिन्होंने किया
तुम्हारे लिए संघर्ष
पिया अपमान का घूँट
झेला जातीय दंश
और एक स्त्री होने की पीड़ा
एक स्त्री होने के नाते
एक स्त्री होने के नाते
तुम्हें होना चाहिए गर्व
माता सावित्रीबाई फूले पर
जिन्होंने तमाम ज़्यादतियों को सहते हुए
खुलकर उड़ाई धज्जियाँ
बाल विवाह, स्त्री प्रथा जैसे नामक
तमाम काले क़ानूनों की
और खोला
पहला विद्यालय
स्त्रियों के लिए
एक स्त्री होने के नाते
तुम्हें देना चाहिए साथ
फातिमा शेख़ की तरह
माता सावित्री बाई फुले का
माता सावित्रीबाई फुले
न सिर्फ़ देश की प्रथम महिला शिक्षिका
समाज सुधारिका रही हैं
बल्कि मराठी कवयित्री होने के साथ
उन्हें माना जाता है
आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत
एक स्त्री होने के नाते
तुम्हें लेनी चाहिए प्रेरणा
लेनी चाहिए सीख
नहीं की जाती है याचना
नहीं माँगी जाती है भीख
हक-अधिकारों को छीना जाता है
लड़कर डपट कर
सीने पर चढ़कर
माता सावित्री बाई की तरह