दिल की अभिलाषा

15-10-2023

दिल की अभिलाषा

नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’ (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


चाह नहीं मैं चाहत बनकर 
प्रेमी-युगल को तड़पाऊँ
 
चाह नहीं, खिलौना बनकर
टूटूँ और बिखर जाऊँ
 
चाह नहीं, पत्थर बनकर
निर्मम, निष्ठुर कहलाऊँ
 
चाह नहीं, बंधन में पड़कर
स्पंदन की प्रीत जगाऊँ
 
चाह मेरी है धड़कन बनकर
रहूँ सदा क़ुर्बान
 
और तिरंगे में लिपट कर
हो जाऊँ मैं हिंदुस्तान। 

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