लड़की हूँ लड़ सकती हूँ

15-12-2023

लड़की हूँ लड़ सकती हूँ

नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’ (अंक: 243, दिसंबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

आमतौर पर
बहुत कम देखने को मिलता है 
कि दे दिया जाय अवसर
बेटियों को 
स्वेच्छा से
घर, वर और कैरियर
वरण करने का
 
और दे दिया जाए अवसर 
जब तक वे पढ़ना चाहती हैं
पढ़ाई का
  
ख़ैर
डिजिटल युग की लड़कियाँ
मज़बूत और होशियार हुई हैं 
अपेक्षाकृत पहले से 
 
अब वें जागरूक हैं
अपने भविष्य के प्रति
लड़कों से कहीं अधिक सजग और वफ़ादार हैं
और सफल
 
अब वे
समाज और राष्ट्र के सेवार्थ
डाॅक्टर, इंजीनियर, वकील 
मास्टर और अफ़सर बन
पेश करना चाहती हैं 
एक मिसाल 
कि लड़की हूँ लड़ सकती हूँ
 
अब हमें 
चूल्हा-चौका
गोबर-कंडी तक ही सीमित ना रखा जाए

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
पुस्तक समीक्षा
नज़्म
दोहे
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में