हिन्दी मैं आभारी हूँ
नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’
मानवता का पाठ पढ़ाकर
जीवन क्या है दिखलाया
क, ख, ग, घ और ककहरा
तूने मुझको सिखलाया
आज बना बलबूते तेरे
अध्यापक सरकारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ . . .
निरक्षर से साक्षर बनाकर
जग में मेरा मान बढ़ाया
दया-धर्म, सद्भाव, प्रेम का
तूने मुझको पाठ पढ़ाया
आज बना बलबूते तेरे
भाषा का अधिकारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ . . .
निराला, वर्मा, प्रसाद और
दिनकर, पंत, सुभद्रा देवी
कितने नाम गिनाऊँ रे
हैं इतने असंख्य सेवी
वंशज हूँ मैं संत कबीर का
और तेरा दरबारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ . . .
लिखा, पढ़ा, कहा, सुना
रोया-धोया, चीखा ख़ूब
आँचल में तेरे सँवरकर
पला, बढ़ा मैं सीखा ख़ूब
तू है मेरी प्राण-प्रतिष्ठा
मैं तेरा कर्मचारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ
हिन्दी मैं आभारी हूँ . . .