दिल जमा रहे; महफ़िल जमी रहे

01-12-2023

दिल जमा रहे; महफ़िल जमी रहे

नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’ (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


दिल जमा रहे; महफ़िल जमी रहे
संघर्ष घनघोर हो मंज़िल जमी रहे
 
दौलत-शोहरत उसके हिस्से में है बहुत 
ख़ुदा करे न नज़र ए क़ातिल जमी रहे 
 
लड़ने के लिए मैं भी बेताब हूँ कहो
है अगर दम तो मुश्किल जमी रहे
 
लोग चढ़ें बेशक हेलिकॉप्टर मगर
पसंदीदा में अपने साइकिल जमी रहे
 
हर आस्तिक के दिल में आस्था के वास्ते 
गीता, क़ुरान और बाइबिल जमी रहे
 
नि:स्वार्थपूर्ण सदा परहित में अपनी
बुद्धि जमी रहे; अक्किल जमी रहे 
 
साहित्य में तुम्हारा सदियों तलक ‘नरेन्द्र’ 
खूँटा जमा रहे यूँ ही कील जमी रहे 

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