मेरे पाठको मुझे माफ़ करना
नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’
मेरे पाठको मुझे माफ़ करना
मेरी कविताएँ यक़ीनन नहीं दे पाएँगी तुम्हें
सुकून
आनंद
और हास्य
मेरी कविताएँ विद्रूपताओं से जन्म लेती हैं
मेरी कविताओं में यक़ीनन मिलेगा तुम्हें
दुःख
आक्रोश
और उबाल
मेरी कविताएँ
लगा सकती हैं आग
यक़ीनन जगा सकती हैं
भूख
प्यास
और ललक
तुम्हारे ज़ेहन में
मेरे पाठको!