आओ ख़ून करें
नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’
दोस्ती टूट जाती है
दोस्ती कौन करे
दुश्मनी अजर-अमर है
आओ ख़ून करें
आओ ख़ून करें हम
दोस्ती को पस्त
ख़ून पिला पिला कर
दुश्मनी को मस्त
दुश्मनी को मस्त करें
और करें जवां
दोस्ती का चीर डालें
हम करेजवाॅं
दोस्ती को पस्त करें
और करें ख़ाक
दुश्मनी बुलंद करें
फोड़ डालें आँख
फोड़ डालें आँख
पहले तोड़ डालें पैर
बाद में फिर लें नरेन्दर
दोस्ती की ख़ैर
दोस्ती की ख़ैर न हो
बोले जयचंद
हृदय में दुश्मनी हो
हर हृदय द्वंद्व
दोस्ती का नाश हो; दोस्ती का अंत
दुश्मनी का हर तरफ़ हो जलवा बुलंद
दोस्ती की ख़ैर न हो
बोले जयचंद
दोस्ती की ख़ैर न हो
बोले जयचंद