सालगिरह
डॉ. वेदित कुमार धीरज
गूँजती है सफ़र में सितारों की लय
जब से संगीत जीवन में आया तेरा
बज रहे हैं हृदय की धुन तान सब
हाथ में एक हाथ आया तेरा
गूँजती है सफ़र में सितारों की लय
जब से संगीत जीवन में आया तेरा।
आइये इस सफ़र को अनवरत करें
जन्म, दो जन्म फिर से कई जन्मों तक
साथ ये धरती से फिर गगन तक रहे
साथ तेरा-मेरा ये अनवरत रहे
गूँजती है सफ़र में सितारों की लय
जब से संगीत जीवन में आया तेरा।
क्या मिला? था जो मिलना मुझे
हम-तुम जो मिले मानो सब मिल गया
सुख की आशा मिली, दुःख के राहों पर चलके
साथ तेरा रहा छाँव बनकर सदा
गूँजती है सफ़र में सितारों की लय
जब से संगीत जीवन में आया तेरा।
ना मैं ऐसा रहा, ना मैं वैसा रहा
जैसा भी मैं रहा बस तुम्हारा रहा
ख़ुश होता है जैसे देखकर चाँदनी
मैं वैसे ही तेरा चकोरा रहा
मैं रहा बाँसुरी और बनी बाँस की
तुम रही राधे-सी साँस बनके सदा
गूँजती है सफ़र में सितारों की लय
जब से संगीत जीवन में आया तेरा।
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