प्रभा चक्र

01-06-2024

प्रभा चक्र

संगीता राजपूत ‘श्यामा’ (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

टेर लगा दिनकर खिसियाया
संग काठ क्यों खेल रहा
बैठ इला पे क्रीड़ा करने
प्रभा चक्र पे आक बहा  . . .
 
बाँछें खिल गई शैशव की
द्वार पे मित्र का आगमन
भेट सिंदूरी डिबिया बंद
करूँ हर्ष लिपट आचमन
 
बालक को किलकारी देकर
रशिम रथ पे सूर्य नहा . . .
 
राह चले पगडंडी की मिल
सरसी ऊपर तैरेंगे
एक गुलेल के हैं लक्ष्य दो
नभ पे कंचे फरेंगे
 
साँझ ढले तक धमा चौकड़ी
पाखी दंगल देख यहाँ . . .
 
चला ठुमक के बालापन
गलबहिया डाल भानु की
दोनों ने अब ऐड़ लगाई
गगन पे साधी ठानुकी
 
देख सवेरा मन मुसकाए
दृश्य कथानक सुखद कहा . . .

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