छूटता गाँव है

01-09-2024

छूटता गाँव है

संगीता राजपूत ‘श्यामा’ (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

छूटता गाँव है। 
थक गए पाँव हैं॥
 
नीर नभ का जला। 
सूखती छाँव है॥
 
जीव जल के मरे। 
गीध की आँव है॥
 
पाप के पग बढ़े। 
पुण्य पर दाँव है॥
 
वट बड़ा है सघन। 
शीतली ठाँव है॥

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