पिता सम्मान है
डॉ. अंकिता गुप्ता
पिता है तो पेड़ों पर झूले अपने हैं,
पिता है तो रेत पर घर अपने हैं,
पिता है तो लहरों पर भँवर अपने हैं,
पिता है तो बाज़ार के खिलौने अपने हैं,
पिता है तो सभी सपने अपने हैं।
पिता है तो आसमान छूने का आत्मविश्वास है,
पिता है तो साहस और रुत्बा साथ है,
पिता है तो ज्ञान है, पहचान है,
पिता है तो उत्साह और प्रीत है,
पिता है तो सुख ही रीत है।
पिता कठोर है, पिता मर्म है,
पिता संयम है, पिता संघर्ष है,
पिता सहायक है, पिता प्रेरक है,
पिता कोच है पिता जीत है,
पिता सुर है, पिता गीत है।
पिता मार्गदर्शन है, पिता समाधान है,
पिता निःस्वार्थ है, पिता बलिदान है,
पिता समर्पण है, पिता अनुशासन है,
पिता गरिमा है, पिता अभिमान है,
पिता वरदान है, पिता सम्मान है।
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