बचपन का सावन

15-08-2025

बचपन का सावन

डॉ. अंकिता गुप्ता (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

झम झमा झम
छप छपाक छम
याद है बारिश का मौसम, 
जाते थे स्कूल लगाकर बस्ते पर पन्नी 
ये उन दिनों की बात है 
जब चलती थी अट्ठनी। 
 
घुमड़ घुमड़ बादल 
लाते रिमझिम फुहार 
याद है, पेड़ों की टहनी हिलाकर 
करते थे चमकीली बूँदों की बौछार 
ये उन दिनों की बात है 
जब सावन भी था एक त्योहार। 
 
कड़कड़ाती थी बिजलियाँ 
और पकौड़ों की तैयारियाँ 
याद है पानी से भरती गलियाँ 
जिसमें बहती थी काग़ज़ की कश्तियाँ 
ये उन दिनों की बात है जब 
भुट्टा संग खाते थे कचौरियाँ। 
 
झम झमा झम 
छप छपाक छम 
आँखें मूँदे स्कूटर पर जाते हम 
याद है, अपने बचपन का सावन 
जब मिट्टी से महकता था हर आँगन 
ये उन दिनों की बात है
जब पिकनिक पर जाता था हर जन। 

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