बरसात के पहलू

01-09-2024

बरसात के पहलू

डॉ. अंकिता गुप्ता (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

एक ओर है झमाझम बरसात की आस, 
दूसरी ओर है टपकती झोपड़ी का आग़ाज़, 
एक ने कहा, बारिश हो जाये, तो छत पर झूमूँगी, 
दूजे कहा गर हो गई बारिश, तो सामान कहाँ छुपाऊँगी, 
एक को चाहिये भीगने पर गरमागरम चाय, 
दूजे को चिंता है कहीं चूल्हा न भीग जाय, 
एक को चलानी है काग़ज़ की कश्ती, 
दूजी ओर पानी से घिर गयी है पूरी बस्ती, 
एक के लिए बरसात है मज़ा और मौज मस्ती 
दूसरे के लिए बादलों से ज़्यादा उसकी आँखें बरसतीं। 

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