आज मुलाक़ात हुई पिता से

01-08-2023

आज मुलाक़ात हुई पिता से

डॉ. अंकिता गुप्ता (अंक: 234, अगस्त प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


आज मुलाक़ात हुई भोर से, 
उसकी शीतल हवाओं के आलिंगन से, 
जो दे रहीं थीं, पिता जैसा संरक्षण, 
 
आज मुलाक़ात हुई चिड़ियों के चहचहाट से, 
गगन में उड़ते उनके झुंड से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसा अनुशासन, 
 
आज मुलाक़ात हुई खिलखिलाते फूलों से, 
उनकी चहुँ ओर महकती सुगंध से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे प्रसन्नचित रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई उगते हुए सूर्य से, 
उसकी तेज, प्रकाशमय किरणों से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे तेजोमय रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई हरे भरे फल सहित पेड़ों से, 
उनकी बहुमूल्य मिठास और ताज़गी से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे समर्पित रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई नीले अनंत आसमान से, 
उसके ब्रह्माण्ड को जोड़ कर रखने की गरिमा से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे परिवार को जोड़ना, 
 
आज मुलाक़ात हुई मंदिरों के शंखनाद से, 
उनके अमोघ ध्वनि से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे दृढ़ निश्चित रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई अपरिमित मार्ग से, 
उसकी मंज़िल तक पहुँचाने की चेष्टा से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे प्रेरित रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई पेड़ पर बैठे पंछियों से, 
उनके दाने की खोज के जुझारूपन से, 
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे जीवन में संघर्षित रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई ऊँचे पर्वतों से, 
सभी ऋतुओं को सहते हुए उनके अडिग रहने की चेतना से, 
जो सीखा रहीं थी, पिता जैसे स्वभिमानित खड़े रहना, 
 
आज मुलाक़ात हुई एक पिता से, 
अपने बच्चे को सँभालते हुए उनकी मुस्कराहट से, 
जो सीखा रहीं थी, पिता को सम्मानित करना। 

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