परिंदा कहेगा

15-08-2020

परिंदा कहेगा

ज़हीर अली सिद्दीक़ी  (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

बख़्श दे हमें
जंग लड़के हैं हारे
बख़्शना नहीं गर
बिना जंग हारे।।
 
मुसीबत से हारें
हमें न गवारा
भले ग़म का सागर
मगर है किनारा ।।
 
नेकी का रस्ता
दिल में है बसता
बदी से है दूरी
है बसता फ़रिश्ता।।
 
शिकवा किसी से
दिल है दुखाता
मुहब्बत सभी से
दिल है खिलाता।।
 
फ़तह की तमन्ना
हर शख़्स रखता
मगर जीतता वह
जो राहें बनाता।।
 
दुबककर बैठे जो
जीते जी मरेगा
बुज़दिल है इंसान
परिंदा कहेगा॥

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