चुगली कहूँ
ज़हीर अली सिद्दीक़ीचुगली कहूँ...
या क्रिकेट की गुगली
क्रमशः करने और दूसरा डालने पर
बोल्ड होना तय है॥
तरक्क़ी से भय
चापलूसी से उदय
मुहब्बत की दिखावटी विधा
लोकमत की ख़िलाफ़त तय है॥
मित्रता को सर्पदंश
आपसी रिश्ते के शकुनि-कंस
प्रेमिका से तक़रार
विध्वंसक नतीजा तय है॥
कहीं मनोरंजन तो...
मनमुटाव कहीं...
प्रतिशोध की ज्वाला की वजह कहीं
अंधकारमय नतीजा तय है॥
चाल है प्रकाश की
ऊर्जा है आकाश सी
कम्पन है भूकंप की
कम्पन से प्रवास तय है॥
भूत से वर्तमान का
भविष्य है रहस्य का
रहस्य ही प्रचंड है
गोपनीयता का दंग होना तय है॥
9 टिप्पणियाँ
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तरक्क़ी से भय चापलूसी से उदय Waaaa
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Atisunder
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Good
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Very nice brother....
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Sahitya ka gale lagana tay hai
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Nice creativity!!
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Excellent
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awesome lines....
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Nice piece of poetry
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