लंदन में ‘भारोपीय हिंदी महोत्सव-2023’ का रंगारंग आयोजन: डॉ. मनोज मोक्षेंद्र
डॉ. मनोज मोक्षेंद्र
‘वातायन-यूके’, ऑक्सफ़ोर्ड बिज़नेस कॉलेज, यूके हिंदी समिति और वैश्विक हिंदी परिवार के तत्वावधान में दिनांक: 13 से 15 अक्तूबर, 2023 तक आयोजित होने वाला ‘भारोपीय हिंदी महोत्सव’ विदेश में आयोजित होने वाले हिंदी से संबंधित उत्सवों में एक अति महत्त्वपूर्ण आयोजन है तथा इसकी महत्ता अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों तथा विश्व हिंदी सम्मेलनों से किसी भी मायने में कमतर नहीं है। इसका एक प्रमुख कारण है, इसमें प्रतिभागिता करने वाले हिंदी के लब्ध-प्रतिष्ठित साहित्यकारों एवं हिंदी को अंतरराष्ट्रीय नभ पर आकाश गंगा की भाँति प्रवाहित करने वाले हिंदी के प्रबुद्धजनों का योगदान। इस इंद्रधनुषीय महोत्सव का आयोजन ऑक्सफ़ोर्ड बिज़नेस कॉलेज-ब्रेंटफोर्ड, लंदन में प्रस्तावित है।
हिंदी महोत्सव की सूत्रधार वर्ष 2004 में स्थापित ‘वातायन-यूके’ की संस्थापक और अध्यक्ष सुश्री दिव्या माथुर हैं जिन्होंने हिंदी से सम्बन्धित इस त्रि-दिवसीय हिंदी महोत्सव को रंगारंग कार्यक्रमों (इवेंट्स) से सज्जित करने का श्लाघ्य प्रयास किया है। ‘वातायन-यूके’ की ऊर्जस्व टीम के जुझारू सदस्य भी अपनी सुप्रतिभ क्षमताओं का स्वयंसेवी आधार पर योगदान करते हुए इसे वैविध्यपूर्ण कलेवर प्रदान कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हिंदी को विश्वाच्छादित करने के लिए अनेकानेक वैश्विक संस्थाएँ भी इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में प्रशंसनीय सहयोग प्रदान कर रही हैं। ऐसी संस्थाओं में विशेष उल्लेखनीय नाम हैं—हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा, सिंगापुर हिंदी संगम (नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर), इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय), उपसाला यूनिवर्सिटी-स्वीडेन, नेहरू सेंटर, सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद जयपुर, कृतिक यूके और कीट्स हाउस भवन सेंटर।
दिव्या माथुर इस महोत्सव को बीज-शब्द ‘नए क्षितिज, नए आयाम’ से अभिमंत्रित करते हुए अपने इस संकल्प के प्रति आश्वस्त हैं कि आने वाले कुछ ही दशकों में समूचा विश्व हिंदी भाषा और साहित्य के ज़रिए एक जीवंत सांस्कृतिक उद्बोधन से अभिसिंचित होगा और भारत की साहित्यिक-सांस्कृतिक चेतना सार्वत्रिक आधार पर सकारात्मक प्रेरणा का स्रोत बनेगी। यह कहना भी अतिरंजित न होगा कि जहाँ तक हिंदी भाषा का सम्बन्ध है, इसके लिए यह समय अत्यंत संक्रमणशील दौर के रूप में रेखांकित किया जा रहा है क्योंकि हिंदी साहित्य के व्यापीकरण में प्रवासी साहित्यकारों की सृजनशीलता बड़े ज़ोर-शोर से अपनी दख़ल दर्ज़ कर रही है जो हिंदी के भविष्य के लिए एक अच्छा शकुन है।
संरक्षक बैरोनेस फैदर के सान्निध्य में तथा संस्थापक सदस्यों नामत: सत्येंद्र श्रीवास्तव, अनिल शर्मा जोशी, डॉ. पद्मेश गुप्त एवं मोहन राणा के विगत में अथक प्रयासों से प्रतिफलित यह वैश्विक हिंदी महोत्सव-2023 न केवल भारत की साहित्यिक गलियारों में गरमागरम चर्चाओं से सराबोर होगा, बल्कि इसके माध्यम से हमारी हिंदी सर्वतोन्मुखी नवोन्मेष के साथ वैश्विक मंच पर अवतरित भी होगी।
शुक्रवार 13 अक्तूबर, 2023 को महोत्सव के प्रथम दिवस पर, भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री माननीय रमेश पोखरियाल उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे जबकि इसके मुख्य अतिथि होंगे श्री अमीश त्रिपाठी जो नेहरू सेंटर (लंदन) में भारतीय उच्चायोग के निदेशक हैं। यह कार्यक्रम लंदन के समयानुसार सायं 5 बजे से आरंभ होकर इसके समापन तक अविराम चलता रहेगा। जाने-माने हिंदी भाषा के प्रचारक और साहित्यकार तथा वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी बीज वक्तव्य देंगे। लंदन उच्चायोग में कार्यरत हिंदी एवं संस्कृति अधिकारी डॉ. नंदिता साहू सरस्वती-वंदना प्रस्तुत करेंगी जबकि आलोक मेहता, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, अरुण माहेश्वरी डॉ. अल्पना मिश्र, नीलिमा डालमिया आधार और प्रत्यक्षा सिन्हा के महती सान्निध्य में, ‘वातायन-यूके’ की अध्यक्ष मीरा कौशिक ओबीई अतिथियों की अगुवाई करेंगी और स्वागत-भाषण देंगी। प्रवासी साहित्यकार डॉ. पद्मेश गुप्त प्रथम सत्र के समारोह का संचालन अपने चिर-परिचित आत्मीय अंदाज़ में करेंगे। निःसंदेह, कार्यक्रम इतना भव्य होगा कि दुनियाभर की निग़ाहें आद्योपांत इस पर टिकी रहेंगी।
प्रथम दिवसीय उद्घाटन समारोह का मुख्य आकर्षण होगा इसके दूसरे सत्र में ‘वातायन-यूके’ के दो सम्मानों का प्रस्तुतीकरण, जिन्हें वार्षिक आधार पर हिंदी साहित्य के दो जाने-माने साहित्यकारों को दिया जाता है। ये दोनों पुरस्कार क्रमश: श्री संतोष चौबे और प्रोफ़ेसर अनामिका को दिए जाएँगे। दोनों विशिष्ट शख़्सियत हिंदी साहित्य के देदीप्यमान सितारे हैं जिनके साहित्यिक अवदान के हम सभी ऋणी हैं। इसके अतिरिक्त, प्रोफ़ेसर हाइंस वरनर वेस्लर और प्रोफ़ेसर रेखा सेठी को भी प्रशस्ति-पत्र देते हुए उनके हिन्दी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। दूसरे सत्र का संचालन लंदन की कवयित्री आस्था देव करेंगी। इस कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता होगी—डॉ. जवाहर कर्णावत, शिखा वार्ष्णेय, मनीषा कुलश्रेष्ठ, डॉ. निखिल कौशिक, प्रो. राजेश कुमार, ऋचा जैन, तितिक्षा शाह, डॉ. नरेश शर्मा जैसे हिंदी साहित्य के चहेतों की।
दूसरे दिन अर्थात् शनिवार 14 अक्तूबर, 2023 को प्रथम सत्र शिक्षण को समर्पित होगा तथा इसे एक हिंदी कार्यशाला के रूप में आयोजित किया जाएगा। इस शैक्षणिक सत्र की अध्यक्षता करेंगे डॉ. सच्चिदानंद जोशी जबकि मुख्य अतिथि होगी डॉ. रमा पांडे। सत्र-समन्वयक ऋचा जैन के संचालन में डॉ. अभय कुमार, डॉ. इला कुमार, मारिया पूरी, डॉ. पूनम कुमारी सिंह, डॉ. शिव कुमार सिंह तथा डॉ. यूरी बोत्वींकिन सांस्कृतिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में अनुवाद विषय पर अपने-अपने बौद्धिक वक्तव्य-मंतव्य प्रस्तुत करेंगे। तदनंतर, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की गरिमामयी अध्यक्षता में ‘हिंदी शिक्षण: चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर चर्चा होगी जिसमें प्रो. निरंजन कुमार मुख्य अतिथि होंगे जबकि संतोष चौबे के सान्निध्य में डॉ. कुसुम नैपसिक, डॉ. ज्योति शर्मा, डॉ. संध्या सिंह, सर्वेंद्र, विक्रम बहादुर सिंह, सुश्री पूजा अनिल, शिवानी भारद्वाज, डॉ. येवगेनी रुतोव और डॉ. मोनिका ब्रोवाचिक इस ज़रूरी विषय पर बौद्धिक चर्चा में सहभगिता करेंगी। इस सत्र का समन्वयन करेंगी—शिखा वार्ष्णेय।
दिनांक 14 अक्तूबर, 2023 के व्यस्त कार्यक्रम में कम-से-कम 8 सत्र प्रस्तावित हैं। इसके तीसरे सत्र में, डॉ. सत्यकेतु सांकृत की अध्यक्षता और तेजेंद्र शर्मा के मुख्य आतिथ्य एवं अनिल शर्मा जोशी के सान्निध्य में बहु-चर्चित प्रवासी लेखन पर परिचर्चा होगी जिसमें प्रतिभागी होंगे—अर्चना पेन्यूली, राकेश पांडे, शैल अग्रवाल, कादंबरी मेहरा और जय वर्मा। एक सत्र ‘वैश्वीकरण और हिंदी भाषा’ के लिए भी आवंटित है। आलोक मेहता की अध्यक्षता तथा एल.पी. पंत के मुख्य आतिथ्य और डॉ. जवाहर कर्णावट के सान्निध्य में, प्रो. हाइंस वरनर वेस्लर, डॉ. जयशंकर यादव, डॉ. शैलजा सक्सेना तथा तातियाना ओरांस्किया प्रतिभागी वक्ता होंगे। चौथा सत्र मध्यान्ह पश्चात 3। 00 बजे से प्रारंभ होगा जिसमें ‘साहित्य और सिनेमा’ विषय पर श्री ललित मोहन जोशी, डॉ. निखिल कौशिक, डॉ. गोकुल क्षीरसागर तथा डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव अपने-अपने वक्तव्य देंगे जबकि इस संगोष्ठी-सत्र की अध्यक्षता मीरा मिश्रा कौशिक करेंगी। मुख्य अतिथि के आसन पर संजीव पालीवाल विराजमान होंगे और हमें रवि शर्मा का सान्निध्य प्राप्त होगा। सुप्रसिद्ध कवयित्री तिथि दानी समन्वयक की भूमिका में होगी।
इस महोत्सव के सभी सत्र हिंदी भाषा के उन्नयन और हिंदी साहित्य की दिशा तय करने के लिए अभिकल्पित हैं। इसी क्रम में, एक आवश्यक सत्र यूरोप में हिंदी शिक्षण विषय पर होगा जिसे ब्रिटेन की हिंदी समिति द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अध्यक्ष होंगे, प्रो. हाइंस वरनर वेस्लर तथा मुख्य अतिथि होंगी दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. रेखा सेठी। डॉ. पद्मेश गुप्त के सान्निध्य में, डॉ. ऐश्वर्यज कुमार, शशि वालिया तथा अंजना उप्पल परिचर्चा में भागीदारी करेंगी। हिंदी भाषा के भविष्य पर चिंतन करने के लिए प्रो. हरमोहिंदर सिंह की अध्यक्षता और डॉ. रियाज़-उल-अंसारी के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ. एम ऐ नंदाकुमारा के सान्निध्य में, जिस विषय पर डॉ. गायत्री मिश्रा, प्रो. प्रतिभा मुदलियार, डॉ. वानिश्री बग्गी और प्रो. बलराम धापसे चर्चा करेंगे, वह विषय है—‘भारतीय भाषाओं की एकात्मकता’। इस सत्र की समन्वयक होगी डॉ. रागसुधा विनजामूरी।
भारोपीय हिंदी महोत्सव के त्रि-दिवसीय आयोजन में दूसरा दिन अत्यधिक व्यस्त होगा। लंदन के समयानुसार सायं 4:00 जो सत्र आयोज्य है, उसमें ‘हिंदी भाषा और साहित्य: भविष्य की रूपरेखा’ विषय पर बौद्धिक चिंतन-मनन होगा। अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद जोशी और मुख्य अतिथि डॉ. नीलम चौहान की उपस्थिति में डॉ. अल्पना मिश्र, डॉ. रेखा सेठी, नीलिमा डालमिया आधार, प्रत्यक्षा सिन्हा और मनीषा कुलश्रेष्ठ, अरुण माहेश्वरी के सान्निध्य में वक्तव्य देंगी। इस संगोष्ठी की समन्वयक अंतरीपा ठाकुर होगी। दिनांक 14 अक्तूबर की संध्या एक कवि सम्मेलन को समर्पित होगी जिसमें अनिल शर्मा जोशी, डॉ. रमा पांडे, डॉ. नंदिता साहू, उषा राजे सक्सेना, मोहन राणा, शेफाली फ्रॉस्ट, डॉ. पद्मेश गुप्त, डॉ. निखिल कौशिक, शिखा वार्ष्णेय, तिथि दानी, ऋचा जैन, ज्ञान शर्मा, आस्था देव, मधुरेश मिश्रा, पवन धनौरी आदि समेत कवि-वृन्द शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम के समन्वयक होंगे लंदन के ही प्रवासी कवि आशीष मिश्रा।
भारोपीय हिंदी महोत्सव के तीसरे दिन के समापन समारोह में भी उल्लेखनीय गतिविधियाँ निष्पादित की जाएँगी। विभिन्न सत्रों से सज्जित इस शृंखला को ‘कलमोत्सव’ की संज्ञा दी गई है। इसमें ‘बेहतर कहानी की भूमि: अपनी भाषा अपने लोग’, ‘इतिहास रचते शब्द’, ‘कविता, उपनिवेशकरण, कूटनीति और स्त्री-कथाएँ’, ‘सत्य और कल्पना के पन्ने’ तथा ‘बदलती लहरें: नारीवाद का विकसित परिदृश्य’ जैसे ज्वलंत विषयों पर सार्थक संवाद होंगे जिनमें प्रबुद्ध संवादकार प्रतिभागिता करेंगे। ‘कलमोत्सव’ का समापन डोना गांगुली द्वारा एक सांस्कृतिक प्रस्तुति से होगा। डॉ. पद्मेश गुप्त द्वारा समापन समारोह में अध्यापकों, स्वयंसेवकों, भाषा-मित्रों; प्रबुद्ध वक्ताओं और संवादकारों तथा प्रतिभागियों; ऑनलाइन जुड़े श्रोता-दर्शकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया जाएगा।
इस प्रकार वर्ष 2023 का अक्तूबर माह हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट महीना के रूप में दर्ज किया जाएगा। बेशक, लंदन में आयोजित भारोपीय हिंदी महोत्सव को, हिंदी साहित्य के इतिहास में समय-समय पर एक मील के पत्थर के रूप में उद्धृत किया जाएगा।