कविता मेहरा गई है
डॉ. मनोज मोक्षेंद्रआँसुओं से
कविता मेहरा गई है
रुलाहट से
कविता बहरा गई है
दुःख से
कविता पथरा गई है
सच से
कविता गूँगी हो गई है
अब क्या करें
जब कविता
किसी लायक़ ही नहीं रही?
1 टिप्पणियाँ
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आपने मेरी कविताओं को जो सम्मान दिया है, उसके लिए हृदय से आभार!