कविता का मूल्य

15-07-2022

कविता का मूल्य

डॉ. मनोज मोक्षेंद्र (अंक: 209, जुलाई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मंदी या हाट से उठाकर
विदेशी बाज़ारों से तस्करीकर
या, रातों-रात कालाबाज़ारी कर
नहीं लाया गया है इसे
 
इसे अपनी फ़ैक्ट्री में तैयार किया गया है
बाक़ायदा अपने ही कच्चे मालों से
अपनी मेहनत-मजूरी से
इसकी गुणवत्ता को निखारा गया है, 
तुम बेशक! इसे जाँच-परख लो
और इसकी क़ीमत आँक लो
 
हाँ, तुम्हें ही करना है
इसका मूल्य-निर्धारण, 
यह काम सिर्फ़ तुम्हारा है
अपनी दिलचस्पी की करेंसी नोटों से
इसका ज़ायज मूल्य चुकाना है। 

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