कविता का मूल्य
डॉ. मनोज मोक्षेंद्रमंदी या हाट से उठाकर
विदेशी बाज़ारों से तस्करीकर
या, रातों-रात कालाबाज़ारी कर
नहीं लाया गया है इसे
इसे अपनी फ़ैक्ट्री में तैयार किया गया है
बाक़ायदा अपने ही कच्चे मालों से
अपनी मेहनत-मजूरी से
इसकी गुणवत्ता को निखारा गया है,
तुम बेशक! इसे जाँच-परख लो
और इसकी क़ीमत आँक लो
हाँ, तुम्हें ही करना है
इसका मूल्य-निर्धारण,
यह काम सिर्फ़ तुम्हारा है
अपनी दिलचस्पी की करेंसी नोटों से
इसका ज़ायज मूल्य चुकाना है।
1 टिप्पणियाँ
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आपने मेरी कविताओं को जो सम्मान दिया है, उसके लिए हृदय से आभार!