अच्छा लगता है  

01-06-2024

अच्छा लगता है  

डॉ. मधु सन्धु (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

कर लिया करो
चैट, मेल, 
बतिया लिया करो कभी-कभी, 
अच्छा लगता है। 
 
संवाद जोड़ते हैं 
मन का विस्तार करते हैं 
स्मृतियाँ सम्पन्न होती हैं
फ़ुरसत के पलों में 
जान लिया करो हालचाल
अच्छा लगता है। 
 
अतीत वर्तमान हो जाता है 
सूखी क़लम में नया रीफिल भर आता है 
फोटो एलबम खुल जाती है, 
अच्छा लगता है। 
 
तुम मेरा फ़िक्र करो 
सुझाव दो और ज़िक्र करो
जिस से जुड़ा हो दिल
उसे ही हमराज़ बनाना 
अच्छा लगता है। 

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