युद्ध

वन्दना पुरोहित (अंक: 201, मार्च द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

युद्ध की इन बाज़ियों से 
हासिल होगा बस यही, 
संस्कृति का नाश होगा, 
निशां न बेचेगा कोई। 
ज़िन्दगी के कलरव में 
रुदन का बस शोर होगा, 
घरौंदों में शोक व संताप होगा। 
चक्षुओं में नीर होगा, 
आहत होगा हर कोई। 
सुहागनों का न नूर होगा, 
बचपन बिखरेगा हर कहीं। 
बारूद युद्ध का फटेगा, 
जान का न मोल होगा। 
अहंकार का बोल होगा, 
विनाश का तांडव होगा। 
चित्तकार का शोर होगा, 
रंज और मलाल होगा। 
अहं की लड़ाई से, 
मानवता का नाश होगा। 

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