युद्ध
वन्दना पुरोहितयुद्ध की इन बाज़ियों से
हासिल होगा बस यही,
संस्कृति का नाश होगा,
निशां न बेचेगा कोई।
ज़िन्दगी के कलरव में
रुदन का बस शोर होगा,
घरौंदों में शोक व संताप होगा।
चक्षुओं में नीर होगा,
आहत होगा हर कोई।
सुहागनों का न नूर होगा,
बचपन बिखरेगा हर कहीं।
बारूद युद्ध का फटेगा,
जान का न मोल होगा।
अहंकार का बोल होगा,
विनाश का तांडव होगा।
चित्तकार का शोर होगा,
रंज और मलाल होगा।
अहं की लड़ाई से,
मानवता का नाश होगा।