बारिश की बूँदें
वन्दना पुरोहित
ये बारिश की बूँदें
धरती को चूम
करती हैं तृप्त।
भीगो कर जन जीवन
आत्माओं में
जगा देती हैं
एक अहसास।
लिये विश्वास
प्रेम और अनुराग
फिर चल पड़ती हैं
अपनी नई यात्रा की ओर
बनने को फिर बूँद
जगाने को अहसास
करने को तृप्त
ये बारिश की बूँदें।