बारिश की बूँदें

15-07-2025

बारिश की बूँदें

वन्दना पुरोहित (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

ये बारिश की बूँदें
धरती को चूम
करती हैं तृप्त। 
 
भीगो कर जन जीवन 
आत्माओं में
जगा देती हैं
एक अहसास। 
 
लिये विश्वास
प्रेम और अनुराग
फिर चल पड़ती हैं
अपनी नई यात्रा की ओर 
बनने को फिर बूँद
जगाने को अहसास
करने को तृप्त 
ये बारिश की बूँदें। 

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