बीत गया वर्ष
वन्दना पुरोहितन जाने किस ऊहा पोह में
बीत गया वर्ष।
कुछ स्वप्न
अधूरे
कुछ पूरे
कह चला
अलविदा।
नई आशाओं
नई उम्मीदों को जगाने
आया नव वर्ष।
अपने संग लाया
ख़ुशियों के कुछ रंग।
उम्मीदों का रंगीन
होगा आसमां,
आशाओं से खिलेगा
हर चेहरा।