मलाल रह जायेगा
वन्दना पुरोहित
वर्ष बीत जायेगा
मलाल रह जायेगा।
बीते लम्हों को सँजो लो
अपनों से बतिया लो ज़रा।
वर्ष बीत जायेगा . . .
गुफ़्तुगू का दौर शुरू कर लो
कुछ कॉल कुछ मुलाक़ात कर
अपनापन जता लो ज़रा।
वर्ष बीत जायेगा . . .
प्रेम से ये अमृत
पी लो ज़रा
दूर कर गिले शिकवे
ख़ुशी के लम्हें जी लो ज़रा।
वर्ष बीत जायेगा
मलाल रह जायेगा।