दिसंबर
वन्दना पुरोहित
लो आ गया दिसंबर
वर्ष भर कि यादें सँजोने।
यादें होंगी अब जो
वो बीते कल की होंगी।
कुछ खट्टी होंगी यादें
तो कुछ मीठी होंगी।
कुछ को ठिठुरन दे गया दिसंबर
कुछ को सुहाना एक अहसास।
कश्मकश करता चला दिसंबर
ये अपनी मंदिम चाल।
फिर कुछ नया करने
देने जीवन को नया आयाम।
लो अब जा रहा दिसंबर
आ रहा है नया साल।