तूफ़ान
अंकुर मिश्रा
मेरे हिस्से में तो मैं ख़ुद नहीं आया
फिर किसी से क्या गिला करना
ख़ुद को कर लिया है बर्बाद इस क़दर कि
अब इन तूफ़ानों से क्या डरना
मेरे हिस्से में तो मैं ख़ुद नहीं आया
फिर किसी से क्या गिला करना
ख़ुद को कर लिया है बर्बाद इस क़दर कि
अब इन तूफ़ानों से क्या डरना