होकर जुदा तुझसे 

01-10-2023

होकर जुदा तुझसे 

अंकुर मिश्रा (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

होकर जुदा तुझसे रह नहीं पाएँगे
बिखर जाएँगे सम्भल नहीं पाएँगे
 
हो जाएगी अज़ाब ये ज़िंदगी मेरी
बिन तेरे हम जी नहीं पाएँगे
 
है क़सम तुझे तू मत जा उठकर मेरे पहलू से
टूट जाएँगे ख़्वाब मेरे हम सो नहीं पाएँगे
 
बहुत लम्बा सफ़र कर के पहुँचे हैं यहाँ तक
हम अश़्कों को अपने अब रोक नहीं पाएँगे
 
तू आकर के थाम ले अब हाथ मेरा ए सनम
हम यूँ अकेले ज़्यादा दूर चल नहीं पाएँगे
 
हो जाएँगे फ़ना कर लेंगे ख़ुदकुशी हम मगर
दूर तुझसे अब और नहीं पाएँगे
 
जो तू नहीं आया अब के सावन लौट के तो
देखना भीग हम भी नहीं पाएँगे

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें