किरदार
अंकुर मिश्रा
अपनी कहानी का मैं भी
एक अजब ही किरदार हूँ
ख़ुद से ही लड़ता रहता हूँ
ख़ुद से ही बेज़ार हूँ
नोंच नोंच के जिस्म अपना
घाव रूह पे कर लिया है
बस मिल जाए कोई कांधा देने वाला
मैं तो अब मरने को भी तैयार हूँ
अपनी कहानी का मैं भी
एक अजब ही किरदार हूँ
ख़ुद से ही लड़ता रहता हूँ
ख़ुद से ही बेज़ार हूँ
नोंच नोंच के जिस्म अपना
घाव रूह पे कर लिया है
बस मिल जाए कोई कांधा देने वाला
मैं तो अब मरने को भी तैयार हूँ