सौदा
अंकुर मिश्रा
किसी शजर कि किसी शाख़ पे
है लिखा नाम आज भी
उसका इस दिल कि किताब पे
वो छोड़ गया मोहब्बत अधूरी अपनी तो क्या
मैंने निभाया है हर वादा
वादे के हिसाब से
और मेरी इन आँखों से
ये बहते मोती तुम्हें बताएँगे
कि कितना महँगा सौदा किया है मैंने
ज़रा-सी उधारी के हिसाब से
4 टिप्पणियाँ
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8 Aug, 2023 09:50 PM
बहुत अच्छी रचना।,
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8 Aug, 2023 04:14 PM
, बेहद खूबसूरत रचना। अन्कुर जी को ढेरों शुभकामनाएं
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8 Aug, 2023 03:36 PM
Gajjab hisab lagaya hai mohabbat ka
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7 Aug, 2023 10:33 PM
मैने निभाया हर वादा वाह बहुत खूब