जज़्बात

15-10-2023

जज़्बात

अंकुर मिश्रा (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

पढ़ूँ तो अल्फ़ाज़ हो तुम
लिखूँ तो जज़्बात हो तुम
 
मेरी आँखें हैं रहगुज़र तेरी
इस दिल का ख़्याल हो तुम
 
है तुझसे ही ये साँसें मेरी
सुबह कि अज़ान हो तुम
 
रहते हो सीने में धड़कन कि तरह
मेरी दुनियाँ मेरा जहान हो तुम
 
है सदके तेरे मेरी ये जान भी
मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम
 
सोचते रहते हैं तुझे घंटों घंटों सनम
मेरा इश्क़ मेरी मोहब्बत मेरा प्यार हो तुम

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें