बिंदिया

15-09-2023

बिंदिया

अंकुर मिश्रा (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

कभी ख़ैरियत हमारी पूछा करो
कभी हाल अपना बताया करो
 
कभी तो छोड़ ये गिले शिकवे
तुम पहले कि तरह मिलने आया करो
 
होंठों पे हँसी आँखों में काज़ल
बालों में गजरा लगाया करो
 
सुनो ये साड़ी तुमपे बहुत जचती है
माथे पे एक बिंदिया भी लगाया करो

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