राजनीति का झूठ कितना पुरातात्विक? 

01-06-2023

राजनीति का झूठ कितना पुरातात्विक? 

प्रभुनाथ शुक्ल (अंक: 230, जून प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

हमारा खुदाई से चोली-दामन का साथ है। खुदाई और विकास हमारे जीवन का अहम भाग है। खुदाई बंद हो जाए तो विकास का पहिया जाम हो जाएगा। सभ्यताएँ विलुप्त हो जाएँगी। खुदाई हमारी सोच यानी न्यू इंडिया का ड्रीम प्रोजेक्ट है। खुदाई हमारी संस्कार में रची-बसी है। हमारे पुरखों की यह विरासत रही है। खुदाई की वजह से हमने ऐतिहासिक सभ्यताएँ हासिल की हैं, जिनका महत्त्व हमारी इतिहास की मोटी-मोटी किताबों में दर्ज है। खुदाई से निकली मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के साथ मेसोपोटामियाँ जैसी सभ्यताएँ और संस्कृति खुदाई से निकली हैं। जिस मुल्क में अपन रहते हैं वहाँ खुदाई हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है। खुदाई यहाँ की एक कला और संस्कृति है। खुदाई निरतंर चलने वाली प्रक्रिया है। पुल, रेल, सड़कें, बाँध, अवास, अंडरब्रिज, कालोनियाँ, सीवर यह सब खुदाई से निकली बुलंदियाँ हैं। खुदाई से ही पेट्रोल-डीज़ल, गोल्ड, ताम्बा, कोबाल्ट, ज़िंक और जाने क्या-क्या निकला है। 

अब आप सोचिए! खुदाई से ही गड़े मुर्दे उखाड़ने का मुहावरा निकला है। खुदाई और खोज एक दूसरे से जुड़े हैं। खुदाई हमारे बाप-दादाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है। तालाब, कुँए, टीले, राजमहल और ऐसिहासिक इमारतें खुदाई का परिणाम है। बिना खुदाई के इनकी नींव नहीं डाली जा सकती है। अपन के मुलुक में खुदाई अधिक गतिमान है। पक्ष हो या विपक्ष सब एक दूसरे की खुदाई में जुटे हैं। सच पूछा जाए तो सत्ता और सिंहासन का खेल इसी खुदाई से निकला है। इसी लिए सत्ता और विपक्ष एक दूसरे के लिए गड़े मुर्दे खोद निकालते हैं। एक दूसरे के लिए क़ब्र भी तैयार करते रहते हैं। यह सब बग़ैर खुदाई के सम्भव नहीं है। पुरातात्विक खुदाई की वजह से ही हमारे कई ऐतिहासिक विवादों के फ़ैसले भी सम्भव हुए। देश की राजनीति में आजकल खुदाई का मौसम चल रहा है। सत्ता विपक्ष, विपक्ष सत्ता की खुदाई कर रहा है। खुदाई की वजह से कई संवैधानिक धाराएँ जड़ से ख़त्म हो गईं। 

समुद्र मंथन से जिन चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी उसमें एक खुदाई भी थी जिसे देवताओं और असुरों ने भूला दिया था। लेकिन आधुनिक खुदाई से यह बाहर आई है। खुदाई में देश का बच्चा-बच्चा पी.एचडी. है। रात-दिन एक दूसरे की जड़ें खोदने में हम लगे हैं। हमारे यहाँ खुदाई को राष्ट्रीय शोधसंस्थान का दर्जा मिलना चाहिए। क्योंकि खुदाई हमारा जन्मसिद्ध अधिकार और राष्ट्रीय दायित्व भी है। देश में जितनी अच्छी-बुरी बातें बाहर आती हैं वह सब खुदाई से निकलती हैं। खुदाई में लोगों ने डिक्टेंशन हासिल किया है। इस खुदाई की जद में संतरी से लेकर मंत्री और पीएम से लेकर सीएम तक की डिग्रियों पर भी बावेला मच रहा है। सियासत में तो खुदाई को अतुलनीय महारत हासिल है। भला को सोशलमीडिया का जो आग में घी का काम करता है। 

अपनी चहकती चिड़िया की वाल पर टेंशन वाले डिटेंशन का पूरा इतिहास-भूगोल ही चस्पा कर दिया। इस खेल में बादशाह की जमात वाले सिरों के बाल उड़ गए। सिर खुजलाने के लिए कंघी की खोज होने लगी। खुदाई से अब झूठ जिन्न निकला है। सत्ता और विपक्ष की खुदाई से निकला झूठ ऐतिहासिक है या पुरातात्विक होता है यह जाँच का विषय है। लेकिन भ‍इया कुछ भी हो! हम खुदाई को प्रणाम करते हैं और चाहते है कि यह खुदाई खुदती रहे। 

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