प्रेस ब्रीफ़िंग में बोला ‘रावण’ दशहरे पर नहीं मरूँगा!
प्रभुनाथ शुक्ल
सोटागुरु का खैनी बनाने का अंदाज़ ही जुदा है। उनकी अदा पर लाखों फ़िदा हैं। सोटागुरु के खैनी बनाने का अंदाज़ उस समय बेइंतहा हो जाता है जब सिर पर पगड़ी बँधी हो और मूँछें नागिन डांस करती हों। उनकी खैनी वाली अदा के लाखों दीवाने हैं। सोटागुरु कहते हैं “अस्सी चुटकी नब्बे ताल, तब देखो खैनी की चाल।” चौपाल पर सोटागुरु का खैनी-डांस जब होता है तो कितने युवा मस्ती में ख़ुद को खो बैठते हैं। वह ज़मीन पर होते हुए भी क्रूज़ की सैर कर आते हैं। सोटागुरु को देश दुनिया की अच्छी जानकारी है। बस, उन्हें कोई छेड़ दे तो बात बन जाए।
ख़बरीलाल ने सोटागुरु को एक गंभीर ख़बर सुना कर आख़िर छेड़ ही दिया। ख़बर सुनते ही सोटागुरु के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। वह धर्मसंकट में पड़ गए। उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिखने लगीं। उन्होंने स्पष्टीकरण माँगते हुए इस ख़बर की अंतिम पुष्टि की इच्छा से पूछा, “खबरीलाल क्या तुम सच कहत हौ?”
“जी बिल्कुल! सोटागुरु, पक्की ख़बर है। अबकी दशहरे पर रावण ने हड़ताल कर दी है। उसने प्रभु श्रीराम को व्हाट्सेप, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक और मेल के ज़रिए संदेश भेज दिया है कि अबकी दशहरे पर वह नहीं मरेगा। रावण ने लंका में इंटरनेशनल मीडिया की प्रेस ब्रीफ़ भी बुलाकर अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी है। दुनिया भर में यह ख़बर जंगल की आग की तरह फैल गयी है। इस पर इहलोक और परलोक में डिबेट छिड़ गयीं हैं।
“रामजी को भेजे संदेश में रावण ने साफ़ कहा है कि त्रेता से लेकर हम मरते-मरते कलयुग तक आ पहुँचे। पाँच हज़ार साल से कलयुग में भी मरते आ रहे हैं। लेकिन हमने अब मुफ़्त में मरने का इरादा छोड़ दिया है।।” रावण ने कहा है, “कितनी बार मैं मरूँगा? युगों-युगों तक मरने का ठेका क्या हमीं ने ले रखा है। पूरे देवलोक में इस ख़बर से खलबली मच गयी है। जबकि इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात तो यह है कि रामजी ने रावण की हड़ताल को जायज़ बताया है। उन्होंने कहा है कि रावण की हड़ताल बिल्कुल जायज़ और लोकतांत्रिक है। प्रभु की इस लोकतांत्रिक इच्छा से विष्णुलोक में खलबली मच गयी है। जबकि रावण की लंका में इसे श्रीराम का समदर्शी न्याय बताते हुए मुक्त कंठ से प्रशंसा हो रही है।”
ख़बरीलाल ने सोटागुरु को बताया कि देवलोक का मीडिया इस ख़बर को युगान्तकारी बताते हुए ब्रेकिंग चला रहा है। सभी चैनल इस पर डिबेट कर रहे हैं। देव और दैत्यलोक के विश्लेषक अपने-अपने तरीक़े से इस पर डिबेट कर रहे हैं कि भविष्य में इसका क्या असर होगा? मीडिया में रामजी ने रावण के हड़ताल का समर्थन क्यों किया इसकी वजह तलाशी जा रही है। देवलोक चाहता है कि प्रभु श्रीराम इसका स्पष्टीकरण दें। जबकि रावण की लंका में इस पर ख़ूब जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन विभीषण परेशान है। आख़िर यह सब हुआ कैसे?
सोटागुरु ने कहा, “निशानेबाज तुमने यह खबर सुना कर त्योहार का मजा किरकिरा कर दिया। हमने सोचा था कि दशहरा करीब है और कोरोना चरसी नींद में है। अबकी सब कुछ अच्छे से मनेगा। लेकिन रावण ने तो होलियाना मूड में भाँग पीकर फैसला सुना दिया। त्योहारी और चुनावी मौसम में सोचा था कुछ खैरात का सरकारी गिफट मिल जाएगा। लेकिन भिया, रावण को क्या बोले वह तो रावण ठहरा।”
“सोटागुरु, रावण कह रहा था कि डीज़ल, पेट्रोल और राई का तेल महँगा हो गया है। हमारे ‘एक लाख पूत और सवालाख नाती’ बेकारी और बेगारी झेल रहे हैं। अनगिनत को मुए कोरोना ने लूट लिया। किसी तरह मुझे बख़्श दिया है। फिर इस महँगाई के दौर में आख़िर मुफ़्त क्यों मरूँ। जब सब कुछ बिक रहा है तो मेरी भी तो बोली लगनी चाहिए। आख़िर दशहरा तो अपुन का टाइम है भाय। सरकार तो हर साल दशहरा और दिवाली पर अपने लोगों को बोनस और इंक्रीमेंट देती है। ऊपर से लोग काजू कतली का गिफ़्ट भी पाते हैं। मुझे तो हर साल मुफ़्त में मरने का भी बोनस नहीं मिलता।”
सोटागुरु गंभीर चिंतन में चले गए। गहरी साँस लेते हुए कहा, “अब क्या होगा खबरीलाल?”
“होगा क्या गुरु, अबकी ऊँट ने करवट बदल ली है। सूत्रों से ख़बर आयी है कि देवलोक की अपातकाल मीटिंग में रामजी ख़ासे नाराज़ हैं। उन्होंने कहा है कि रावण की बात जायज़ और लोकतांत्रिक है। उसने सच कहा है कि एक गुनाह की सज़ा उसे कितनी बार दी जाएगी! उसका कथन तर्कसंगत है कि प्रभु! हमने तो माँ सीता का सिर्फ़ एकबार हरण किया था। जिसकी सज़ा में मुझे त्रेता से लेकर कलयुग तक मरना पड़ा। जबकि यहाँ तो हर रोज़ सीता का हरण होता है। रोज़ जलायी जाती हैं। चीरहरण आम बात है। मैं तो उस दौर में अकेला रावण था अब तो लाखों हैं जो माँ सीता को रोज़ हरते हैं। हर गली, मोहल्ले, चौराहे और घर में हैं नाथ। फिर प्रभु, मेरे भी तो लोकतांत्रिक और मानवीय अधिकार हैं। अबकी दशहरे में मुझे माफ़ करो। प्रभु, पहले हर मन और घर में बैठे लाखों उस रावण को मारिए, फिर मुझ पर विचार करिए।
!! समाप्त!!
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