छोटी सी ज़िन्दगी

15-08-2024

छोटी सी ज़िन्दगी

प्रभुनाथ शुक्ल (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

छोटी सी ज़िन्दगी
उम्मीदें बड़ी हैं
कठिन हैं रास्ते 
मंज़िलें बड़ी हैं
 
ख़्वाब हैं सुनहले 
नहले पे हैं दहले 
कहीं धूप गहरी है
कहीं छाँव ठहरी है

कहीं भीड़ का रेला है 
कोई कहीं अकेला है 
कहीं हँसता कोई है
कहीं रोता कोई है
 
कहीं ग़म के साए हैं
कहीं अपने पराए हैं
कहीं बंद रास्ते पाए हैं
कहीं उजाले छुपाए हैं
 
पग-पग पर काँटे पाए हैं
अपने ही पाँसे बिछाए हैं
धोखे पर धोखे खाए हैं 
अमृत में हम विष पाए हैं
 
ज़िन्दगी को हम जीत पाएँ हैं 
मुठ्ठी में आसमा भींच लाए हैं
हवाओं को हम साथ लाए हैं 
लहरों पर हम मकां बनाए हैं

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