मैं सफ़र से ऐसे गुज़र गया

01-01-2024

मैं सफ़र से ऐसे गुज़र गया

तेजपाल सिंह ’तेज’  (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मैं सफ़र से ऐसे गुज़र गया, 
ज्यूँ दरिया कोई उतर गया। 
 
मिलने वाला मिल नहीं पाया, 
मैं इधर गया वो उधर गया। 
 
दर्पण देखा तो आँखों में, 
रुख़ अपना ही उभर गया। 
 
बासी फूल की पत्ती हूँ मैं, 
ठसक लगी कि बिखर गया। 
 
रात की ख़ामोशी में तनहा, 
न जाने कब सँवर गया। 
 
कल तक ‘तेज’ साथ था मेरे, 
आज न जाने किधर गया।

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