मौसमों की तरह, आता-जाता है बरस
तेजपाल सिंह ’तेज’मौसमों की तरह, आता-जाता है बरस,
जुगनुओं की तरह, जगता-सोता है बरस।
दिन को तो अन्धेरों का गुमाँ देता है,
रातों को दिन का, राग सुनाता है बरस।
अबकी बरस, तारे ज़मीं पे निकलेंगे,
कैसे-कैसे हसीं ख़्वाब, दिखाता है बरस।
धरती को नित फलने की दुआ देता है,
आसमां को समन्दर में डुबोता है बरस।
बच्चों को नये साल की टाफी देकर,
रिन्दों की गली घूमता फिरता है बरस।
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