छीनकर मुँह से निवाला आपने
तेजपाल सिंह ’तेज’छीनकर मुँह से निवाला आपने
शर्म को घर से निकाला आपने
चंद चुपड़ी रोटियों के वास्ते,
स्वयं को ही बेच डाला आपने
शहर अपना जगमगाने के लिए
गाँव सारा फूँक डाला आपने
चाँद-तारों की तलब में बारहा,
अर्श पर पत्थर उछाला आपने
देखने को अपनी सौ-सौ सूरतें,
आइना तक तोड़ डाला आपने
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