फ़्लैश्बैक : बियोंड पैराडाइम आत्म वृत्त (रचनाकार - तेजपाल सिंह ’तेज’ )
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- आज का कवि लिखने के प्रति इतना गंभीर नहीं, जितना प्रकाशित होने व प्रतिक्रियाओं के प्रति गंभीर है
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- दलित साहित्य के बढ़ते क़दम
- वह साहित्य अभी लिखा जाना बाक़ी है जो पूँजीवादी गढ़ में दहशत पैदा करे
- विज्ञापन : व्यापार और राजनीति का हथियार है, साहित्य का नहीं
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