कहानी

15-10-2023

कहानी

अंकुर मिश्रा (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

अपनी ही कहानी में किरदार अपना पता नहीं
क्यों चल रही हैं ये साँसें मुझे यार कुछ पता नहीं
  
शब ओ शहर ये जानें कहाँ खोए रहते हैं
किसका है ये ख़्याल मुझे यार कुछ पता नहीं
  
जानें कबसे यूँ ही तन्हा कितनी रातें गुज़र गईं
उस शब-ए-जुदाई के बाद का मुझे यार कुछ पता नहीं

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