ये जीवन के एहसास

15-03-2025

ये जीवन के एहसास

दीपमाला (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

ये जीवन भी क्या ख़ास है
हर पल इक नया अहसास है। 
कभी ग़म के बादल है तो
कभी ख़ुशियों की बरसात है। 
 
कभी मन इतना विचलित है
कि कुछ समझ ही नहीं आता
तो कभी निराशा में भी
दिख जाती इक नन्ही सी आस है। 
 
कभी लगता है कि जैसे
सारे प्रयास हो गए निरर्थक
सबको संतुष्ट रखने के
ये सोचकर हो जाता मन उदास है। 
 
और अगले ही पल मन के
इक झरोखे से आ जाती है
आशा और उत्साह की इक किरण
जो कर जाती इक नई शुरूआत है। 
 
शुरूआत इक नए नज़रिए की
शुरूआत फिर से शुरू करने की
इन्हीं विचारों की कशमकश में
मिल जाता रास्ता अनायास है। 

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