रामायण
दीपमाला
शिक्षा देती हमको रामायण
संस्कार सिखलाती है।
नैतिकता और सदाचार का
पाठ सदा ही पढ़ाती है।
राज छोड़ बन गए राम ने
पितु आज्ञा सिरधारी थी
उधर भरत ने भ्रात प्रेम में
सिंहासन को ठोकर मारी थी।
आदर्श भाई का फ़र्ज़ निभाकर
लखन चले राम के साथ
सीता ने भी सुखों को त्यागा
बन गई पति के साथ।
हनुमत जैसी सच्ची निष्ठा
कहीं किसी में ना पाई
राम के परम भक्त कहाए
हृदय में बसे सदा रघुराई।
राजा राम के आदर्शों का
प्रतिबिंब हमारी रामायण है
जिसमें धर्म के आदर्शों को
साकार करते नारायण हैं।
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