उस घर में ही होंगी ख़ुशियाँ

01-01-2025

उस घर में ही होंगी ख़ुशियाँ

दीपमाला (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 
फूलों सा जहाँ महके अंगना
उस घर में ही होंगी ख़ुशियाँ
 
दादा-दादी जहाँ मुस्काते
पोता-पोती संग खिलखिलाते
प्यार के रंग से रँगी जो बग़िया
उस घर में ही होंगी ख़ुशियाँ। 
 
माता-पिता का जहाँ मान है होता
बड़ों का जहाँ सम्मान है होता
दिल में खिली हो प्यार की कलियाँ
उस घर में ही होंगी ख़ुशियाँ। 
 
एक दूजे से प्यार सब करते
आपस में जो कभी ना लड़ते
बस होती जहाँ प्यार की बतियाँ
उस घर में ही होगी ख़ुशियाँ। 
 
छोटी-छोटी नोक-झोंक पर
बड़ी कभी तकरार ना होती
ग़ुस्सा हो पर हो कुछ घड़ियाँ
उस घर में ही होगी ख़ुशियाँ। 
 
प्रेम की डोर से सब जुड़ते हों
सुख दुख सब साझा करते हों
आशीर्वाद की हो जहाँ छैयां
उस घर में ही होगी ख़ुशियाँ। 
 
बड़े जीवन का पाठ पढ़ाते
अपने अनुभव से हमें सिखाते
छोटे पूनें उनके पइयाँ
उस घर में ही होगी ख़ुशियाँ। 

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