बेटे भी बेटियों से कम नहीं होते 

01-08-2024

बेटे भी बेटियों से कम नहीं होते 

दीपमाला (अंक: 258, अगस्त प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

कौन कहता है कि बेटे
बेटियों से कमतर होते हैं। 
 
जिनके न हों बेटियाँ उनसे पूछिए
ख़्याल रखते हैं माँ का
किसी बच्चे की तरह
उठा उठाकर दे देते हैं सामान
रसोई से जब माँ पुकारती है
 
स्त्री कर देते हैं धुले हुए कपड़े
अगर माँ ना कर पाए तो
छत पर सुखा आते हैं
छीन कर बाल्टी कहते हुए
छत पर धूप बहुत है
 
बीमार हो जाने पर
क्या ज़रूरत थी इतना काम करने की
कहते हुए हाथ पकड़कर
बिस्तर तक ले जाते हैं
और चाय बनाकर पिला जाते हैं। 
 
नसीहत देते हैं जाते जाते
दवाई लेना टाइम से
वरना हमको बनाकर खानी पड़ेगी
मैगी या फिर पापा के हाथ की
जली खिचड़ी
जब देती है माँ उलाहना
कहकर कि किसी काम के नहीं हो हो तुम
तब बनावटी भाव लाकर चेहरे पर कहते हैं
अरे मम्मी जब बेटी चली जायेगी तुम्हारी
तो मैं ही काम आऊँगा। 
 
बाज़ार से जाकर दही दूध
बिना कहे ही ले आते हैं
भरकर रख देते हैं
बोतलें पानी की
फ़्रिज में
तौलिया भी बाहर सुखा आते हैं। 
 
चुपचाप अचानक से
उपहार लाते हैं मम्मी के जन्मदिन पर
और भर देते हैं ख़ुशी के आँसू
उनकी आँखों में। 
 
बहुत प्यार करते हैं माता पिता से
बस व्यक्त कर नहीं पाते
स्नेह शब्दों में
हाँ, बेटे भी बेटियों से क़तई
कम नहीं होते हैं। 

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