तुम्हारा असर है इस क़द्र

01-05-2022

तुम्हारा असर है इस क़द्र

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

प्रफुल्लित मन मदमस्त होकर
बादलों के रथ पर सवार
आकाश चूमता है, 
 
सुकून की शीतल हवाएँ
अन्तर्मन के उद्वेग को
शान्त कर जाती हैं, 
 
हर्षोल्लास की नन्ही बूँदों से
हृदय का प्यासा समंदर
भर जाता है, 
 
ताज़गी भरे प्यारे से अहसास
मेरे वुजूद को हौले से
सहला जाते है, 
 
देख लो! 
इक तेरे मिलने और बात करने से
चमत्कार कितने सारे
मेरी ज़िन्दगी में हुए जाते हैं। 

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