दुनियादारी की बात

15-12-2021

दुनियादारी की बात

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 195, दिसंबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

ज़्यादातर मेहनती एवं
फुर्तीले लोग
पसंद नहीं करते अपने आस-पास
आलसी और कामचोर लोगों को, 
कभी उनको डाँट डपट कर
तो कभी मन ही मन कुढ़कर, 
ख़ून जलाते रहते हैं अक़्सर वो
ऐसे लोगों को देख-देखकर, 
 
ठीक इसी तरह ज़्यादातर
कुशाग्र बुद्धि को पसंद नहीं आता 
सामान्य बुद्धि का साथ, 
 
ज़्यादातर पढ़े-लिखे एवं 
ज्ञानवान लोगों को
कम पढ़े लिखों के साथ संवाद, 
 
ईमानदार, सीधे-सच्चे लोगों को
झूठे, बेईमान और मक्कारों के साथ
व्यवहार, 
 
धनी-मानी, मशहूर, एवं 
ऊँचे पद-प्रतिष्ठा वाले लोगों का
निर्धनों से रखना कोई सरोकार, 
 
सुन्दर नयन-नक़्श, गौर वर्ण एवं 
अच्छी देहयष्टि वालों को
साधारण शक्लो-सूरत वालों का ख़्याल, 
 
विडंबना यह है कि ज़्यादातर
हर श्रेणी का इंसान रहना चाहता है
अपने से ऊँचे स्तर के इंसान के साथ, 
विरले ही मिलते हैं ऐसे लोग
जिन्हें पसंद होता है अपने से कमतर 
लोगों का साथ। 

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