आपसी सहयोग

15-12-2020

आपसी सहयोग

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 171, दिसंबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

गाँवों ने!
          ज़िंदा रखा है
          सामुदायिक सहभागिता को,
          मिलकर ज़िंदगी की ख़ुशी-ग़मी,
          और फ़सलों के काम निपटाते हुए,
 
शहरों ने!
          तो कब की तिलांजलि दे रखी है,
          साधारण मानवीय मूल्यों को भी
          रुपयों के घमण्ड में अकड़ते हुए।

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