बदनसीब लोग

01-12-2021

बदनसीब लोग

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 194, दिसंबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

थोड़ी तुतलाती हुई सी
बोली में सौ तरह की
बातें और मासूम सवाल,
 
पल में रूठना, पल में ही 
मान भी जाना,
रोना-धोना, खेलना-कूदना,
ख़ुशी से नाचते गाते
डालना खूब धमाल,
 
बिना बात के ज़िद करना
कभी और कभी बड़े-बूढ़ों
जैसी समझदारी भरी
बातें करने का कमाल,
 
कितनी मासूमियत है 
बच्चों की हर अदा में!
बड़े बदनसीब होते हैं वो लोग
जिन्होंने देखे नहीं 
अपने बच्चों की ज़िंदगी के
आरंभिक साल।

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