मौत की विजय

01-03-2022

मौत की विजय

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

दुनिया के सभी युद्धों में
पराजय जीवन की
और विजय मौत की होती है, 
शक्तिशाली होने का भ्रम 
पाले बैठा है जो
एक दिन उसकी भी हस्ती
ज़मींदोज़ होती है। 
 
क़ब्ज़े किए जा सकते हैं
घरों और ज़मीनों पर हथियारों
के ज़ोर से
लेकिन दिलों पर राज करने के लिए
प्रेम व स्नेह की ही डोर होती है, 
लाश हो जाती है इंसानियत
युद्धों के परिणामस्वरूप, 
शान्ति और भाईचारे से ही
मानवता की भोर होती है। 
 
जिन्होंने गँवाया है 
अपने परिजनों को युद्धों में
उनसे पूछो जाकर 
इन विनाशकारी युद्धों के मायने, 
बाक़ी दुनिया के लिए तो यह
सिर्फ़ तमाशे की बात होती है, 
उजड़ते हैं आशियाने जिनके
युद्धों में
उनके लिए मुश्किल काटना 
कितनी हर एक रात होती है। 

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