सुरंगमा यादव हाइकु - 4

15-07-2020

सुरंगमा यादव हाइकु - 4

डॉ. सुरंगमा यादव (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

1.
प्रेम फुहार
धरा पर बरसा
नभ का प्यार


2.
बाँह पसार
मेघों की मनुहार
करते वृक्ष


3.
प्यासी है धरा
अब नभ के वीर
समझो पीर


4.
तेज़ हवाएँ
रोकेंगी कब तक
मेघों का रस्ता


5.
मेघों का गाँव
देख सुहानी छाँव
जा बैठी धूप


6.
रिश्तों की धरा
अगोरती बरसें
नेह के मेघ


7.
चीर कलेजा
दिखलाती धरती
मेघ पसीजा


8.
सूखी नलिनी
कोई न पूछे आज
दुःख में बात


9.
बरसों मेघ
शीतल हो जीवन
मिटे तपन


10.
मेघ जौहरी
बाँटे खोल तिजोरी
बूँदों के मोती

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
सामाजिक आलेख
दोहे
कविता
कविता-मुक्तक
लघुकथा
सांस्कृतिक आलेख
शोध निबन्ध
कविता-माहिया
कविता - हाइकु
कविता-ताँका
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें